Wednesday 17 April 2013


इस शहर में


इस शहर में,
दिन होता है
ना 
रात होती है.
किसी के पास यहाँ,
तभी तो वक्त नहीं.

इस शहर में,
खून
बहुत होते है.
बड़ी कद्र है
लोगों में यहाँ,
रिश्तों की.

इस शहर में,
रहते हैं
तमाम लोग बड़े,
बड़ी गरीबी है,
कहते हैं 
इस शहर में भी.

इस शहर में,
होती है
तिजारत ऐसी,
कि सज जाते हैं 
 'बाज़ार,'
शाम ढलते ही.

इस शहर में,
जाना पहचाना था
शिर्फ़ शख्स इक,
नज़र आता नही 
वोअब 
आईने में भी.

(v.k.srivastava)



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