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सुबह सेराह दिखाते,अकेलाछोड़ देता है जबसूरज,काली घनीरातों के दर पे,
तभी, थाम लेता हैआकर,किसी कोने सेअधकटा चाँद,तो कभीस्याह अस्मां सेबिखरे मोती.
कभीचमकती है शमशीर,बादलों में,चीरतीअँधेरे को,राह दिखातीमजिल की.
(v.k.srivastava)
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