एक गीत
मेरे हुज़ूर मुझसे भी नजर मिलाइए,
कुछ तो बात, अपने भी दिल की सुनाइये,
मेरे हुज़ूर मुझसे भी नजर मिलाइए।
शर्म-ओ-हया के जुल्म की तो हद ही हो गई,
मुखड़े से अब नकाब की परतें हटाइए.
मेरे हुज़ूर..........
मैंने किया है प्यार, आपसे बे-इन्तहां,
फ़िर क्यूँ न जिद करुँ, जरा ये तो बताइए.
मेरे हुज़ूर..........
थोड़ा सा चाँद, देखिये नजर में आ गया,
पूनम का चाँद भी जरा जल्दी दिखाइए.
मेरे हुज़ूर..........
तिरछी नज़र तेरी, जिगर को तार कर गई,
अब तो इलाज़ दर्दे-दिल का करके जाइए.
मेरे हुज़ूर..........
जन्नत है इस जहाँ में, यकीन हो गया,
सीने के पास, थोड़ा और पास आइये.
मेरे हुज़ूर..........
जीना है कई उम्र, मुझे यूँ ही तेरे संग,
आबे-हयात एक घूँट आज चाहिए.
मेरे हुज़ूर मुझसे भी नजर मिलाइए.
(विनोद श्रीवास्तव )
कुछ तो बात, अपने भी दिल की सुनाइये,
मेरे हुज़ूर मुझसे भी नजर मिलाइए।
शर्म-ओ-हया के जुल्म की तो हद ही हो गई,
मुखड़े से अब नकाब की परतें हटाइए.
मेरे हुज़ूर..........
मैंने किया है प्यार, आपसे बे-इन्तहां,
फ़िर क्यूँ न जिद करुँ, जरा ये तो बताइए.
मेरे हुज़ूर..........
थोड़ा सा चाँद, देखिये नजर में आ गया,
पूनम का चाँद भी जरा जल्दी दिखाइए.
मेरे हुज़ूर..........
तिरछी नज़र तेरी, जिगर को तार कर गई,
अब तो इलाज़ दर्दे-दिल का करके जाइए.
मेरे हुज़ूर..........
जन्नत है इस जहाँ में, यकीन हो गया,
सीने के पास, थोड़ा और पास आइये.
मेरे हुज़ूर..........
जीना है कई उम्र, मुझे यूँ ही तेरे संग,
आबे-हयात एक घूँट आज चाहिए.
मेरे हुज़ूर मुझसे भी नजर मिलाइए.
(विनोद श्रीवास्तव )
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